PM Viksit Bharat Rozgar Yojana 2025: जानिए 1 अगस्त से लागू होने वाली नौकरी योजना का पूरा लाभ

"चार युवा भारतीय पुरुष और महिलाएं ऑफिस में दस्तावेज़ प्राप्त करते हुए मुस्कुराते हैं, जो रोजगार योजना के लाभों को दर्शाता है।"

देश के युवाओं को नौकरी देना, उद्योगों को प्रोत्साहन देना और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ाना—इन्हीं उद्देश्यों के साथ केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री विकसित भारत रोज़गार योजना 2025 की घोषणा की है। यह योजना 1 अगस्त 2025 से देशभर में लागू हो रही है और इसका मकसद है आने वाले दो वर्षों में 3.5 करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर तैयार करना।

यह योजना न केवल पहली बार नौकरी पाने वालों के लिए उम्मीद की किरण है, बल्कि देश के नियोक्ताओं (employers) को भी आर्थिक सहायता प्रदान कर उन्हें अधिक लोगों को काम पर रखने के लिए प्रेरित करती है। इस लेख में हम योजना से जुड़ी पूरी जानकारी विस्तार से जानेंगे।

प्रधानमंत्री विकसित भारत रोज़गार योजना क्या है?

प्रधानमंत्री विकसित भारत रोज़गार योजना (PMVBRY) एक केंद्र सरकार की नई पहल है जिसका मकसद है देश में रोजगार सृजन को बढ़ावा देना। इस योजना के अंतर्गत उन लोगों को लाभ मिलेगा जिन्हें पहली बार औपचारिक रूप से नौकरी मिल रही है, यानी जिनका भविष्य में ईपीएफ (EPF) और ईएसआईसी (ESIC) के तहत रजिस्ट्रेशन होगा।

इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार ऐसे संस्थानों को आर्थिक सहायता प्रदान करेगी जो नए कर्मचारियों को नियुक्त करेंगे और उनके वेतन संबंधी विवरण ईसीआर फॉर्म के माध्यम से समयबद्ध और सही तरीके से दर्ज करेंगे।

योजना के मुख्य उद्देश्य

  1. भारत के युवाओं को रोजगार के अवसर देना
  2. महिला कर्मचारियों को विशेष रूप से बढ़ावा देना
  3. पहली बार नौकरी कर रहे युवाओं को सशक्त बनाना
  4. नियोक्ताओं को सब्सिडी देकर अधिक नौकरियां उत्पन्न करना
  5. देश के औपचारिक कार्यबल को बढ़ाना और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ना

कौन उठा सकता है इस योजना का लाभ?

इस योजना का लाभ दो पक्षों को मिलेगा—कर्मचारी और नियोक्ता

कर्मचारी की पात्रता:

  • वह व्यक्ति जिसने 1 अप्रैल 2024 के बाद पहली बार नौकरी पाई हो।
  • कर्मचारी की मासिक आय 15,000 रुपये या उससे कम होनी चाहिए।
  • कर्मचारी ईपीएफ और ईएसआईसी में रजिस्टर्ड होना चाहिए।

नियोक्ता की पात्रता:

  • किसी भी कंपनी या संस्थान ने नए कर्मचारियों को नौकरी दी हो।
  • उन कर्मचारियों के लिए ईसीआर सही तरीके से भरा गया हो।
  • कर्मचारी का EPFO और ESIC डाटा सही और समय पर जमा किया गया हो।

सरकार द्वारा मिलने वाला लाभ

इस योजना के तहत केंद्र सरकार निम्नलिखित प्रकार से सहायता देगी:

  1. सरकार कर्मचारियों के वेतन में से EPF और ESIC हिस्से का भुगतान करेगी।
  2. यह सुविधा कर्मचारी की पहली नौकरी के लिए उपलब्ध होगी।
  3. एक कर्मचारी के लिए यह सहायता अधिकतम 2 वर्षों तक मिलेगी।
  4. यह सहायता नियोक्ता को दी जाएगी लेकिन कर्मचारी के नाम पर दी जाएगी।

महिलाओं को मिलेगा विशेष लाभ

सरकार ने इस योजना में महिला कर्मचारियों को विशेष प्राथमिकता दी है। इसका उद्देश्य है कि देश की महिलाओं को अधिक रोजगार के अवसर मिलें और वे आत्मनिर्भर बन सकें। इसलिए अगर कोई नियोक्ता महिला कर्मचारी को पहली बार नौकरी देता है, तो उसे सब्सिडी पाने में प्राथमिकता दी जाएगी।

योजना का क्रियान्वयन कैसे होगा?

यह योजना EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) और ESIC (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) के माध्यम से लागू की जाएगी। इन संस्थानों के माध्यम से कर्मचारियों और नियोक्ताओं का डाटा डिजिटल रूप से एकत्रित किया जाएगा।

ईसीआर फॉर्म को सही तरीके से भरना और सभी दस्तावेज समय पर जमा करना अनिवार्य होगा। केवल उन्हीं कर्मचारियों को योजना का लाभ मिलेगा जो योग्य माने जाएंगे और जिनका डाटा सत्यापित होगा।

आवेदन प्रक्रिया

फिलहाल सरकार ने इस योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन पोर्टल की घोषणा नहीं की है, लेकिन संभावना है कि यह EPFO और ESIC की वेबसाइट के माध्यम से ही संचालित किया जाएगा। नियोक्ता को निम्नलिखित प्रक्रियाओं का पालन करना होगा:

  1. नए कर्मचारी की नियुक्ति करनी होगी।
  2. कर्मचारी का EPF और ESIC नंबर बनवाना होगा।
  3. हर महीने ईसीआर में सही जानकारी भरनी होगी।
  4. सरकार की ओर से सब्सिडी उसी खाते में आएगी जो पंजीकृत है।

किन राज्यों में होगा यह लागू?

यह योजना पूरे भारत में लागू होगी—चाहे वह कोई भी राज्य हो। खासकर जहां युवा बेरोजगारी ज्यादा है, जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बंगाल आदि राज्यों में इसके तहत अधिक रोजगार सृजन की संभावना है।

क्या यह योजना MSMEs के लिए भी फायदेमंद है?

जी हां, सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह योजना सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगी। इन उद्यमों को कम लागत में कर्मचारी रखने का अवसर मिलेगा और उन्हें सरकार से आर्थिक सहायता भी मिलेगी, जिससे वे तेजी से बढ़ सकें।

योजना से क्या बदलाव आएंगे?

  1. रोजगार दर में वृद्धि: खासकर उन युवाओं को जो पहली बार नौकरी ढूंढ़ रहे हैं।
  2. उद्योगों को बड़ी राहत दी जाएगी: क्योंकि सरकार EPF और ESIC से जुड़ी जिम्मेदारियों का भार खुद वहन करेगी, जिससे संस्थानों पर होने वाला वित्तीय दबाव कम हो जाएगा।
  3. महिलाओं की भागीदारी में इजाफा: योजना के तहत महिलाओं को विशेष प्राथमिकता दी गई है।
  4. औपचारिक अर्थव्यवस्था का विस्तार: अधिक से अधिक कर्मचारी EPFO और ESIC से जुड़ेंगे।

कुछ ज़रूरी बातें जो ध्यान में रखनी चाहिए

  • नियोक्ता को ईसीआर समय पर भरना अनिवार्य है।
  • इस योजना का लाभ केवल उन्हीं कर्मचारियों को मिलेगा जिनका मासिक वेतन 15,000 रुपये या उससे कम निर्धारित किया गया है।
  • फर्जी नियुक्ति या डुप्लीकेट डाटा देने पर योजना का लाभ रद्द किया जा सकता है।
  • योजना का लाभ केवल नए कर्मचारियों के लिए ही होगा।

प्रधानमंत्री विकसित भारत रोज़गार योजना 2025 भारत के उन करोड़ों युवाओं के लिए एक सुनहरा मौका है जो नौकरी की तलाश में हैं। यह न केवल उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाएगी, बल्कि सामाजिक सुरक्षा की दिशा में भी एक ठोस कदम है।

सरकार द्वारा नियोक्ताओं को दी जाने वाली सब्सिडी से कंपनियों को नई नियुक्तियों के लिए प्रोत्साहन मिलेगा और देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।

अगर आप एक युवा हैं और पहली बार नौकरी पा रहे हैं, या आप एक कंपनी चलाते हैं और नए कर्मचारियों को नियुक्त करने की सोच रहे हैं—तो यह योजना आपके लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है।

Gyan Singh Rjpoot

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प्रस्तावना: किसानों के लिए एक नई उम्मीद

किसान हमारे देश की रीढ़ हैं, और जब उनकी मेहनत का उचित मूल्य उन्हें नहीं मिल पाता, तो न केवल उनका परिवार प्रभावित होता है बल्कि देश की आर्थिक व्यवस्था भी कमजोर होती है। उत्तर प्रदेश जैसे कृषि प्रधान राज्य में किसानों के लिए सरकार की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 20 जुलाई 2025 को एक नई योजना की शुरुआत की है — PPP योजना 2025, जो खासतौर पर मक्का और आलू किसानों के लिए बनाई गई है।

इस योजना के अंतर्गत किसानों को बाजार में फसल बेचने के लिए स्थायी और भरोसेमंद माध्यम मिलेगा, जिससे उनकी आमदनी में सीधा इज़ाफा होगा। यह एक आधुनिक कृषि मॉडल है, जो सरकार और निजी क्षेत्र के सहयोग से संचालित होगा।


PPP मॉडल क्या है और क्यों है जरूरी?

PPP यानी “सार्वजनिक–निजी भागीदारी” एक ऐसा तरीका है जिसमें सरकार और निजी कंपनियां मिलकर किसी योजना को लागू करती हैं। इसका मकसद यह होता है कि सरकार की सुविधाएं और निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता को एक साथ मिलाकर बेहतर परिणाम हासिल किए जाएं। को मिलाकर योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर कारगर बनाया जाए। कृषि क्षेत्र में यह मॉडल विशेष रूप से कारगर माना जा रहा है क्योंकि इससे किसानों को तकनीकी, विपणन और भंडारण से जुड़ी समस्याओं से राहत मिल सकती है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मॉडल को मक्का और आलू किसानों के लिए अपनाया है ताकि उन्हें उनकी फसल का सही मूल्य मिल सके और वे मंडियों की अस्थिरता से बच सकें। इस योजना के तहत सरकार ने निन्जाकार्ट (Ninjacart) नाम की एक अग्रणी निजी एग्रीटेक कंपनी के साथ समझौता किया है।


क्या है निन्जाकार्ट और इसकी भूमिका

निन्जाकार्ट भारत की प्रमुख एग्रीटेक कंपनियों में से एक है, जो किसानों से सीधे उपज खरीदकर उसे रिटेल स्टोर्स और ग्राहकों तक पहुंचाती है। यह कंपनी पहले से ही कई राज्यों में सक्रिय है और किसानों को बिचौलियों से मुक्ति दिलाकर उन्हें उचित मूल्य प्रदान कर रही है।

उत्तर प्रदेश सरकार के साथ इस साझेदारी में निन्जाकार्ट ने सहमति दी है कि वह पहले चरण में राज्य के पांच जिलों के करीब 10,000 किसानों से हर साल लगभग 25,000 टन मक्का और आलू खरीदेगी। इसका मतलब है कि अब इन किसानों को अपनी फसल की बिक्री के लिए न तो मंडी के चक्कर लगाने होंगे और न ही कीमत गिरने का डर रहेगा।


किन जिलों से हुई शुरुआत

इस योजना की शुरुआत फिलहाल उत्तर प्रदेश के पांच जिलों से की गई है, जहां मक्का और आलू का उत्पादन अधिक मात्रा में होता है। ये जिले हैं:

  1. लखीमपुर खीरी
  2. बहराइच
  3. गोंडा
  4. बस्ती
  5. गोरखपुर

इन जिलों का चयन इस आधार पर किया गया है कि यहां खेती पर बड़ी संख्या में लोग निर्भर हैं और फसल का बाज़ार तक पहुंचना अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है।


किसानों को क्या लाभ मिलेगा?

इस योजना से किसानों को कई तरह के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ होंगे, जिनमें प्रमुख हैं:

स्थायी और सुनिश्चित बाजार
किसानों को अब यह चिंता नहीं रहेगी कि मंडी में उनकी फसल कितने दाम पर बिकेगी। निन्जाकार्ट के साथ किए गए समझौते के अनुसार, किसानों को एक निश्चित न्यूनतम मूल्य मिलेगा।

सीधी बिक्री का मौका
किसान सीधे कंपनी को फसल बेच सकेंगे। इससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त होगी और किसान को फसल का पूरा मूल्य मिलेगा।

उन्नत तकनीक और ट्रेनिंग
निन्जाकार्ट किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों, सिंचाई विधियों, फसल संरक्षण और जैविक खेती से संबंधित प्रशिक्षण भी देगी।

भंडारण और लॉजिस्टिक्स
कई बार फसल को बाजार में ले जाने से पहले ही वह खराब हो जाती है। अब कंपनी फसल को खेत से ही उठाएगी और अपने नेटवर्क से उसे बाजार तक पहुंचाएगी।

इथेनॉल उत्पादन से अतिरिक्त मांग
मक्के का उपयोग इथेनॉल बनाने के लिए भी किया जाएगा, जिससे किसानों की उपज की मांग और कीमत दोनों बढ़ेंगी। इससे सरकार के इथेनॉल मिशन को भी बल मिलेगा।


योजना में कैसे करें भागीदारी?

इस योजना में भाग लेने के लिए किसान को अपने ब्लॉक या जिला कृषि अधिकारी से संपर्क करना होगा। इसके अलावा कृषि विज्ञान केंद्रों पर भी जानकारी उपलब्ध कराई गई है। रजिस्ट्रेशन के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ जरूरी होंगे:

  • आधार कार्ड
  • बैंक खाता विवरण
  • भूमि का रिकॉर्ड (खसरा/खतौनी)
  • वर्तमान फसल की जानकारी

सरकार डिजिटल रजिस्ट्रेशन की भी व्यवस्था कर रही है, जिससे किसान ऑनलाइन भी आवेदन कर सकें।


सरकार का दीर्घकालिक विजन

यह योजना केवल एक व्यापारिक समझौता नहीं है, बल्कि एक व्यापक सोच का हिस्सा है। उत्तर प्रदेश सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने के उद्देश्य को लेकर कई योजनाएं पहले से ही चला रही है। PPP योजना उन योजनाओं में एक नया और मजबूत आयाम जोड़ती है।

सरकार का मानना है कि यदि किसान सीधे बाजार से जुड़ते हैं, तो वे अधिक उत्पादन करेंगे, बेहतर बीज और तकनीक अपनाएंगे और कृषि को लाभ का व्यवसाय बना सकेंगे। इसके अलावा यह मॉडल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और उद्यमिता को भी बढ़ावा देगा।


किसानों के अनुभव और प्रतिक्रिया

लखीमपुर खीरी के एक किसान सुरेश यादव का कहना है, “अब तक हम मंडी पर निर्भर थे, जहां दाम कब गिर जाए पता नहीं चलता था। लेकिन इस योजना से हमें भरोसा मिला है कि हमारी मेहनत बेकार नहीं जाएगी।”

इसी तरह गोरखपुर की किसान महिला रीता देवी कहती हैं, “अगर हमें फसल का सही दाम खेत पर ही मिल जाए, तो हम नई तकनीक भी अपनाएंगे और उत्पादन भी बढ़ेगा।”

इस तरह के फीडबैक यह दर्शाते हैं कि यह योजना किसानों के दिलों को छू रही है और उनमें विश्वास जगा रही है।


योजना से जुड़ी चुनौतियां

हर योजना के साथ कुछ चुनौतियाँ भी होती हैं। इस PPP योजना में भी कुछ ऐसे मुद्दे सामने आ सकते हैं:

  • किसानों को डिजिटल रजिस्ट्रेशन और कंपनी की प्रक्रियाओं को समझाने की जरूरत होगी।
  • फसल की गुणवत्ता बनाए रखना, ताकि वह निजी खरीदार की मांग पर खरी उतरे।
  • निगरानी और पारदर्शिता बनाए रखना, ताकि किसानों को समय पर भुगतान और समर्थन मिले।

सरकार ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक विशेष निगरानी टीम और हेल्पलाइन की व्यवस्था करने की घोषणा की है।


निष्कर्ष: एक नई दिशा की ओर

PPP योजना 2025 उत्तर प्रदेश सरकार का एक ऐसा प्रयास है जो किसानों की ज़िंदगी में वास्तविक बदलाव ला सकता है। यह योजना सिर्फ मक्का और आलू किसानों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसका मॉडल अन्य फसलों और जिलों में भी लागू किया जा सकता है।

सरकार, निजी कंपनियां और किसान — यदि तीनों मिलकर इस योजना को पूरी निष्ठा से अपनाएं, तो निश्चित ही यह योजना उत्तर प्रदेश के कृषि इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगी।

यह केवल एक योजना नहीं, बल्कि किसानों की मेहनत और सरकार की नीयत का संगम है — जो उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर और समृद्ध बना सकता है।


अगर आप भी इस योजना से जुड़ना चाहते हैं या अपने गांव के किसानों को जागरूक करना चाहते हैं, तो इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएं। सही योजना, सही समय पर और सही तरीके से लागू हो — तो बदलाव निश्चित है।

Gyan Singh Rjpoot

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ESIC की Spree 2025 योजना: बिना जुर्माने के अब कर्मचारी और नियोक्ता करा सकेंगे रजिस्ट्रेशन – जानिए पूरी जानकारी

देश के लाखों छोटे-मझोले व्यवसायों और असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए भारत सरकार ने एक नई योजना की शुरुआत की है – जिसका नाम है Spree 2025। यह योजना ESIC यानी कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा चलाई जा रही है, और इसका उद्देश्य है नियोक्ताओं और कर्मचारियों को बिना किसी जुर्माने या कार्रवाई के पंजीकरण का अवसर देना।

Spree 2025 एक निश्चित समय सीमा के लिए शुरू किया गया अभियान है, जिसकी शुरुआत 1 जुलाई 2025 से हुई है और यह 31 दिसंबर 2025 तक कार्यान्वित रहेगा। लाभ उठाकर नियोक्ता अब अपने संस्थान और कर्मचारियों को ESIC स्कीम के अंतर्गत पंजीकृत कर सकते हैं, वह भी पुराने उल्लंघनों के लिए बिना किसी कानूनी झंझट के।

Spree 2025 योजना क्या है?

Spree का विस्तारित रूप है ‘Scheme for Promotion of Registration of Employers and Employees’, जिसका आशय है – “कर्मचारियों और संस्थाओं के नामांकन को उत्साहित करने की योजना।”। इस योजना का मुख्य उद्देश्य है उन सभी संस्थानों और कंपनियों को एक अवसर देना, जिन्होंने अब तक ESIC में पंजीकरण नहीं कराया है, या जो किसी कारणवश इससे बाहर रह गए हैं।

इस योजना के अंतर्गत ऐसे नियोक्ता जो अब अपने कर्मचारियों को ESIC के अंतर्गत लाते हैं, उन्हें पहले की गलतियों के लिए न तो दंड मिलेगा, न ही कोई जांच की जाएगी। यह सरकार का एक प्रोत्साहन प्रयास है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आ सकें।

योजना की अवधि

Spree 2025 योजना छह महीने तक चलेगी। यह 1 जुलाई 2025 से शुरू होकर 31 दिसंबर 2025 तक जारी रहेगी। इस बीच जो भी नियोक्ता और कर्मचारी ESIC पोर्टल या अन्य अधिकृत माध्यमों से पंजीकरण कराते हैं, उन्हें योजना का पूरा लाभ मिलेगा।

इस योजना के मुख्य लाभ

पहला बड़ा लाभ यह है कि अगर कोई नियोक्ता अपने कर्मचारियों का पहली बार ESIC में रजिस्ट्रेशन कराता है, तो उसे पहले की कोई भी चूक के लिए न कानूनी नोटिस मिलेगा, न ही उस पर जुर्माना लगेगा। यह पूरी तरह से ‘एम्नेस्टी स्कीम’ के रूप में लागू की गई है।

दूसरा, रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी है। नियोक्ता श्रम सुविधा पोर्टल, ESIC की वेबसाइट या MCA पोर्टल से सीधे पंजीकरण कर सकते हैं।

तीसरा, पंजीकरण की तारीख को स्वयं नियोक्ता निर्धारित कर सकता है। इसका मतलब है कि वह अपने पंजीकरण को पीछे की तारीख से भी मान्य करा सकता है, बशर्ते वह उसकी घोषणा पंजीकरण के समय कर दे।

चौथा, इस योजना के माध्यम से कर्मचारियों को इलाज, मातृत्व लाभ, बीमारी भत्ता, विकलांगता सहायता और मृत्यु सहायता जैसे लाभ तुरंत मिलने लगते हैं। वहीं, कुछ मामलों में नियोक्ताओं को योग्यता अनुसार कुछ श्रेणियों में नियोक्ताओं को ₹3,000 तक की प्रेरणा राशि भी प्रदान की जा सकती है।

ESIC से मिलने वाले लाभ

ESIC स्कीम के अंतर्गत कर्मचारी और उनके परिवार को सरकारी दर पर या निशुल्क चिकित्सा सेवाएं मिलती हैं। इसके अलावा कर्मचारियों को काम के दौरान घायल होने या बीमार होने की स्थिति में आय का विकल्प दिया जाता है। गर्भवती महिलाओं को मातृत्व लाभ मिलता है, और अगर कर्मचारी विकलांग हो जाता है या मृत्यु हो जाती है, तो उनके परिवार को सहायता दी जाती है।

इन सभी सुविधाओं का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है और यह पूरे भारत में लागू होता है।

रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया – चरण दर चरण

  1. सबसे पहले ESIC की आधिकारिक वेबसाइट www.esic.gov.in पर जाएं।
  2. “Employer Registration” सेक्शन पर क्लिक करें।
  3. मांगी गई जानकारी जैसे कंपनी का नाम, पता, व्यवसाय का प्रकार, नियोक्ता का विवरण भरें।
  4. दस्तावेज़ अपलोड करें जैसे PAN कार्ड, पता प्रमाण, GST प्रमाणपत्र आदि।
  5. अपने कर्मचारियों की जानकारी दर्ज करें – नाम, पद, वेतन, नियुक्ति की तारीख।
  6. प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक यूनिक पंजीकरण नंबर प्राप्त होगा।

रजिस्ट्रेशन के बाद संबंधित कर्मचारी भी ESIC के पोर्टल पर जाकर अपना विवरण चेक कर सकते हैं और सुविधा का लाभ ले सकते हैं।

किन्हें करना चाहिए पंजीकरण?

इस योजना का लाभ विशेष रूप से उन संस्थानों को उठाना चाहिए जिनके यहां 10 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं। उदाहरण के लिए:

  • छोटे और मध्यम दर्जे की फैक्ट्रियां
  • निर्माण कार्य वाली कंपनियां
  • निजी स्कूल, कॉलेज और संस्थान
  • होटल और रेस्टोरेंट्स
  • सर्विस सेंटर्स, ऑटो गैरेज, ब्यूटी पार्लर, आदि

इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति ठेकेदारी के माध्यम से मजदूरों से काम करवा रहा है, तो उसे भी इस योजना में पंजीकरण करना अनिवार्य है।

सरकार का उद्देश्य और संदेश

ESIC ने Spree 2025 योजना की घोषणा करते हुए यह स्पष्ट कहा है कि अब हमारा उद्देश्य प्रवर्तन नहीं बल्कि सहयोग है। यानी अब सरकार और संस्थान मिलकर सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। यह योजना असंगठित क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

सरकार का यह भी मानना है कि अगर लोग स्वेच्छा से पंजीकरण कराते हैं तो भविष्य में उन्हें किसी भी कानूनी उलझन या दंड से बचाया जा सकता है।

कर्मचारियों को क्यों दिलवाना चाहिए रजिस्ट्रेशन?

यदि आप एक कर्मचारी हैं और आपका संस्थान अभी तक ESIC में पंजीकृत नहीं है, तो यह समय है जब आपको अपने हक के लिए आवाज उठानी चाहिए। Spree 2025 योजना के तहत अब आप बिना किसी परेशानी के सामाजिक सुरक्षा कवर में आ सकते हैं। इस योजना का लाभ दिलवाने के लिए आप अपने HR या मालिक से संपर्क करें और उन्हें इस योजना की जानकारी दें।

योजना के बारे में सामान्य प्रश्न

प्रश्न: क्या योजना सिर्फ नई कंपनियों के लिए है?
उत्तर: नहीं, यह सभी कंपनियों के लिए है जो पहले ESIC में पंजीकृत नहीं थीं या अभी तक पंजीकरण नहीं करवा पाई हैं।

प्रश्न: क्या पहले के बकाया का भुगतान करना होगा?
उत्तर: नहीं, योजना के तहत पिछले किसी भी प्रकार के बकाया, दंड या कानूनी कार्रवाई से छूट दी गई है।

प्रश्न: क्या योजना में रजिस्ट्रेशन शुल्क लगता है?
उत्तर: नहीं, रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया मुफ्त है। लेकिन रजिस्ट्रेशन के बाद नियोक्ता को हर महीने कर्मचारी की सैलरी का कुछ प्रतिशत योगदान ESIC में देना होता है।

प्रश्न: योजना कब तक मान्य है?
उत्तर: योजना 1 जुलाई 2025 से शुरू हुई है और 31 दिसंबर 2025 तक मान्य है।

निष्कर्ष

Spree 2025 योजना भारत सरकार की एक दूरदर्शी पहल है, जो उन लाखों कर्मचारियों और नियोक्ताओं को मुख्यधारा में लाने का कार्य करेगी जो अब तक ESIC की सुविधा से वंचित थे। यह योजना सभी छोटे और बड़े संस्थानों के लिए एक सुनहरा मौका है कि वे बिना किसी डर या परेशानी के सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजना में शामिल हों।

अगर आप एक व्यवसायी हैं तो आज ही पंजीकरण करवाएं। और यदि आप एक कर्मचारी हैं तो अपने संस्थान से संपर्क करें और इस योजना के बारे में उन्हें जानकारी दें।

याद रखिए, अब किसी भी कर्मचारी को इलाज, बीमा या आय सुरक्षा से वंचित नहीं रहना चाहिए – क्योंकि अब है Spree 2025।

Gyan Singh Rjpoot

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Employment Linked Incentive Yojana 2025: युवाओं के लिए पहली नौकरी और उद्योगों को बढ़ावा देने वाली ऐतिहासिक योजना :

भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है। हर साल लाखों युवा अपनी शिक्षा पूरी करके नौकरी की तलाश में निकल पड़ते हैं। लेकिन आज के प्रतिस्पर्धी युग में पहली नौकरी पाना एक कठिन चुनौती बन गया है। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 1 जुलाई 2025 को एक नई योजना की घोषणा की, जिसका नाम है – रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना 2025, यानी “रोजगार आधारित प्रोत्साहन योजना”।

यह योजना उन युवाओं के लिए उम्मीद की किरण है जो पहली बार औपचारिक क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं, साथ ही यह कंपनियों के लिए आर्थिक रूप से मददगार साबित होगी। इस लेख में हम इस योजना की हर महत्वपूर्ण जानकारी विस्तार से देंगे ताकि पाठक इसे अच्छे से समझ सकें और इसका लाभ उठा सकें।

योजना का उद्देश्य

रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना 2025 का उद्देश्य भारत के युवाओं को रोजगार से जोड़ना है, खासकर उन युवाओं को जो पहली बार नौकरी में आ रहे हैं। इसके साथ ही सरकार ने उद्योगों और निजी कंपनियों को प्रोत्साहित करने की रणनीति भी बनाई है, ताकि वे अधिक से अधिक नए कर्मचारियों को नियुक्त करें और उन्हें प्रशिक्षित करें।

सरकार का लक्ष्य इस योजना के माध्यम से अगले दो वर्षों में लगभग 3.5 करोड़ नए रोजगार के अवसर पैदा करना है। यह योजना न केवल बेरोजगारी को कम करने में मदद करेगी, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि में भी योगदान देगी।

योजना का शुभारंभ और विस्तार

इस योजना की घोषणा 1 जुलाई 2025 को की गई थी। इस योजना को श्रम मंत्रालय और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के माध्यम से लागू किया जाएगा। यह देश भर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगी। इसका उद्देश्य अधिक से अधिक युवाओं को संगठित क्षेत्र (औपचारिक क्षेत्र) में शामिल करना और उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है।

युवाओं को लाभ

इस योजना के तहत पहली बार नौकरी करने वाले युवाओं को वित्तीय सहायता दी जाएगी। अगर कोई युवा पहली बार EPFO ​​में पंजीकरण कराता है, तो सरकार उसकी सहायता के रूप में दो किस्तों में कुल ₹15,000 प्रदान करेगी। यह राशि सीधे उसके बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी।

यह सहायता उन युवाओं के लिए है जिनका मासिक वेतन ₹15,000 या उससे कम है और जिन्होंने पहले कभी EPFO ​​के तहत किसी कंपनी या संस्थान में काम नहीं किया है। यह सरकार की एक बड़ी पहल है जो पहली बार नौकरी में कदम रखने वाले युवाओं को आत्मविश्वास देगी।

उद्योगों और नियोक्ताओं को लाभ

रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना 2025 न केवल युवाओं के लिए है, बल्कि यह कंपनियों और उद्योगों को नए कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए भी प्रोत्साहित करती है। योजना के तहत अगर कोई कंपनी नए कर्मचारी को नियुक्त करती है और EPFO ​​में पंजीकृत है, तो सरकार उस कर्मचारी के लिए कंपनी को ₹3,000 प्रति माह तक की सब्सिडी देगी।

यह सब्सिडी अधिकतम दो साल के लिए दी जाएगी। विनिर्माण क्षेत्र जैसे विशेष क्षेत्रों में यह सहायता चार साल तक बढ़ाई जा सकती है। इसका सीधा लाभ छोटे और मध्यम उद्यमों (MSME) को मिलेगा, जो अक्सर कर्मचारियों की लागत को लेकर चिंतित रहते हैं।

पात्रता की शर्तें
युवाओं के लिए:

आवेदक की आयु 18 से 30 वर्ष के बीच होनी चाहिए (कुछ विशेष श्रेणियों को 35 वर्ष तक की छूट मिल सकती है)

ईपीएफओ में यह उनका पहला पंजीकरण होना चाहिए

मासिक वेतन ₹15,000 या उससे कम होना चाहिए

पहले किसी सरकारी या निजी कंपनी में काम नहीं किया हो

कंपनियों के लिए:

कंपनी का ईपीएफओ में पंजीकृत होना अनिवार्य है

यह लाभ केवल नए कर्मचारियों के लिए मान्य होगा

वेतन का भुगतान डिजिटल माध्यम से करना होगा

कर्मचारी विवरण और अंशदान की रिपोर्ट समय पर देना आवश्यक होगा

आवेदन प्रक्रिया

सरकार ने इस योजना को पूरी तरह से ऑनलाइन रखने की व्यवस्था की है ताकि पारदर्शिता बनी रहे और लाभ सीधे पात्र लोगों तक पहुंचे। इसके लिए श्रम मंत्रालय और ईपीएफओ की वेबसाइट पर एक समर्पित पोर्टल बनाया गया है।

आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार है:

कंपनी एक नया कर्मचारी नियुक्त करती है

कर्मचारी EPFO ​​में पंजीकृत होता है

कर्मचारी और कंपनी दोनों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड की जाती है

सरकार द्वारा सत्यापन के बाद सब्सिडी स्वीकृत की जाती है

कर्मचारी को दो किस्तों में ₹15,000 की सहायता मिलती है

कंपनी को प्रति माह ₹3,000 तक की सहायता दी जाती है

योजना से जुड़े संभावित लाभ

इस योजना के लाभ बहुआयामी हैं। इससे न केवल युवाओं को लाभ होगा, बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था, औद्योगिक विकास और सामाजिक संतुलन भी मजबूत होगा |

आर्थिक दृष्टिकोण से:

रोजगार के अवसर बढ़ेंगे

संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों की संख्या बढ़ेगी

कर और EPFO ​​जैसी संस्थाओं में योगदान बढ़ेगा

सामाजिक दृष्टिकोण से:

युवाओं में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का विकास होगा

परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा

ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे

चुनौतियाँ और समाधान

हर योजना की तरह इस योजना को भी कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है:

योजना की जानकारी सभी कंपनियों तक पहुँचना

डिजिटल पोर्टल की तकनीकी कठिनाइयाँ

गलत दावों और पात्रता के दुरुपयोग का डर

सब्सिडी वितरण में देरी

इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सख्त निगरानी और सत्यापन प्रणाली लागू की है ताकि योजना का दुरुपयोग न हो और सही लाभार्थी को ही सहायता मिले।

Employment Linked Incentive Yojana 2025 is a visionary and youth-centric scheme that will work to strengthen the social and economic framework of India. This scheme will not only help the youth to get their first job, but it will also inspire companies to provide more jobs.

This initiative is a reflection of the thinking of the Government of India, which is moving towards self-reliant India and inclusive development. If you are a youth and want to start your career, or you are an entrepreneur and are looking for qualified employees, then this scheme can be very useful for you.

Gyan Singh Rjpoot

दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY): ग्रामीण युवाओं के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ठोस प्रयास

परिचय:
भारत एक विशाल ग्रामीण देश है, जहाँ आज भी देश की अधिकांश आबादी गाँवों में निवास करती है। ये गाँव न केवल भारत की आत्मा हैं, बल्कि देश की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संरचना की नींव भी हैं। लेकिन इन गाँवों में रहने वाले लाखों युवाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोज़गार की कमी है। जब शिक्षा पूरी हो जाती है, तो सवाल उठता है – “अब क्या करें?”

इन सवालों और चुनौतियों का जवाब है – “दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY)”। यह योजना न केवल रोज़गार का साधन बनती है, बल्कि युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने का ठोस रास्ता भी दिखाती है। यह योजना एक सपना है – गाँव के हर घर में रोज़गार हो, हर युवा में आत्मविश्वास हो और हर परिवार की आर्थिक स्थिति मज़बूत हो।

योजना का शुभारंभ:
डीडीयू-जीकेवाई को भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर 25 सितंबर 2014 को लॉन्च किया था। इसका उद्देश्य ग्रामीण गरीब युवाओं को कौशल विकास के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान करना था, जिससे उन्हें उद्योगों की आवश्यकता के अनुसार नौकरी पाने में मदद मिल सके।

यह योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत चलती है और इसका दायरा पूरे भारत में है, खासकर उन राज्यों में जहां गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी की दर अधिक है। डीडीयू-जीकेवाई इस मिशन का एक प्रमुख स्तंभ है, जो गरीबी को जड़ से खत्म करने की दिशा में काम करता है।

योजना की विशेषताएं:

यह योजना 15 से 35 वर्ष के बीच के ग्रामीण गरीब युवाओं के लिए है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला, अल्पसंख्यक और दिव्यांगजन जैसी विशेष श्रेणियों के लिए अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष तक है।

यह पूरी तरह से निःशुल्क है – प्रशिक्षण, भोजन, आवास, पोशाक, अध्ययन सामग्री, सब कुछ बिना किसी शुल्क के दिया जाता है।

योजना के तहत चयनित युवाओं को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र दिए जाते हैं। ये प्रमाण पत्र भारत के किसी भी कोने में नौकरी पाने में सहायक होते हैं।

प्रशिक्षण व्यावसायिक आवश्यकताओं पर आधारित होता है – जैसे आईटी, स्वास्थ्य सेवा, आतिथ्य, खुदरा, निर्माण, ऑटोमोबाइल, फैशन डिजाइनिंग, सौंदर्य कल्याण, आदि।

प्रशिक्षण पूरा होने के बाद युवाओं को नौकरी पाने में पूरी सहायता प्रदान की जाती है। कई मामलों में, कंपनियाँ सीधे प्रशिक्षण केंद्रों पर आती हैं और चयन करती हैं।

प्रशिक्षण की अवधि पाठ्यक्रम के आधार पर 3 महीने से 12 महीने तक हो सकती है।

समस्या की जड़ पर प्रहार:
भारत में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। कई युवा अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद या तो खेती में लग जाते हैं या बड़े शहरों में चले जाते हैं। वहाँ उन्हें बहुत कम वेतन पर अस्थायी और असुरक्षित नौकरियाँ मिलती हैं। डीडीयू-जीकेवाई इस स्थिति को बदलने का काम करता है। यह गाँव में रहने वाले युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार के योग्य बनाता है। इससे पलायन रुकता है, गाँव की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है और सामाजिक ताना-बाना भी मजबूत होता है।

महिलाओं की भागीदारी:
इस योजना की एक खास बात यह है कि इसमें महिलाओं को विशेष प्राथमिकता दी गई है। आमतौर पर ग्रामीण इलाकों में लड़कियां जल्दी पढ़ाई छोड़ देती हैं और उनके लिए बहुत कम अवसर उपलब्ध होते हैं। यह योजना ऐसी लड़कियों को हुनरमंद बनाने और आजीविका से जोड़ने का अवसर देती है। अब महिलाएं प्रशिक्षण लेकर विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं और अपने परिवार का सहारा बन रही हैं। कहानी के जरिए समझें: उत्तर प्रदेश के सुदूर गांव की एक लड़की सीमा की कल्पना करें। सीमा ने 12वीं पास कर ली है, लेकिन उसके पास आगे की पढ़ाई के लिए संसाधन नहीं हैं। परिवार की हालत भी अच्छी नहीं है। फिर उसे DDU-GKY के बारे में पता चलता है। वह नजदीकी ट्रेनिंग सेंटर जाती है, आवेदन करती है और हॉस्पिटैलिटी का कोर्स कर लेती है। 6 महीने की ट्रेनिंग के बाद सीमा को एक मशहूर होटल में नौकरी मिल जाती है। अब वह न सिर्फ आत्मनिर्भर है, बल्कि अपने घर की आर्थिक जिम्मेदारियां भी निभा रही है। इस योजना ने सीमा जैसे लाखों युवाओं की जिंदगी बदल दी है। यह सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि अवसरों की एक खिड़की है, जो गांवों के युवाओं के लिए खुली है। प्रमुख प्रशिक्षण पाठ्यक्रम: DDU-GKY कई अलग-अलग क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करता है। इनमें शामिल हैं:

सूचना प्रौद्योगिकी और डेटा प्रबंधन

स्वास्थ्य सेवा और संबद्ध चिकित्सा क्षेत्र

आतिथ्य प्रबंधन और होटल सेवाएँ

खुदरा विपणन

निर्माण कौशल

वाहन मरम्मत और संचालन

सौंदर्य और फैशन डिजाइन

प्रशिक्षण केंद्र में कैसे शामिल हों:

अपने जिले के ग्रामीण विकास विभाग या जिला परियोजना कार्यालय से संपर्क करें।

उपलब्ध पाठ्यक्रमों और केंद्रों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए योजना की वेबसाइट (ddugky.gov.in) पर जाएँ।

आधार कार्ड, शैक्षिक प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आकार की तस्वीरें, बीपीएल प्रमाण पत्र आदि जैसे आवश्यक दस्तावेज़ तैयार रखें।

प्रशिक्षण केंद्र में काउंसलिंग प्रक्रिया के माध्यम से पाठ्यक्रम का चयन किया जाता है।

Gyan Singh Rjpoot