ESIC की Spree 2025 योजना: बिना जुर्माने के अब कर्मचारी और नियोक्ता करा सकेंगे रजिस्ट्रेशन – जानिए पूरी जानकारी

देश के लाखों छोटे-मझोले व्यवसायों और असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए भारत सरकार ने एक नई योजना की शुरुआत की है – जिसका नाम है Spree 2025। यह योजना ESIC यानी कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा चलाई जा रही है, और इसका उद्देश्य है नियोक्ताओं और कर्मचारियों को बिना किसी जुर्माने या कार्रवाई के पंजीकरण का अवसर देना।

Spree 2025 एक निश्चित समय सीमा के लिए शुरू किया गया अभियान है, जिसकी शुरुआत 1 जुलाई 2025 से हुई है और यह 31 दिसंबर 2025 तक कार्यान्वित रहेगा। लाभ उठाकर नियोक्ता अब अपने संस्थान और कर्मचारियों को ESIC स्कीम के अंतर्गत पंजीकृत कर सकते हैं, वह भी पुराने उल्लंघनों के लिए बिना किसी कानूनी झंझट के।

Spree 2025 योजना क्या है?

Spree का विस्तारित रूप है ‘Scheme for Promotion of Registration of Employers and Employees’, जिसका आशय है – “कर्मचारियों और संस्थाओं के नामांकन को उत्साहित करने की योजना।”। इस योजना का मुख्य उद्देश्य है उन सभी संस्थानों और कंपनियों को एक अवसर देना, जिन्होंने अब तक ESIC में पंजीकरण नहीं कराया है, या जो किसी कारणवश इससे बाहर रह गए हैं।

इस योजना के अंतर्गत ऐसे नियोक्ता जो अब अपने कर्मचारियों को ESIC के अंतर्गत लाते हैं, उन्हें पहले की गलतियों के लिए न तो दंड मिलेगा, न ही कोई जांच की जाएगी। यह सरकार का एक प्रोत्साहन प्रयास है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आ सकें।

योजना की अवधि

Spree 2025 योजना छह महीने तक चलेगी। यह 1 जुलाई 2025 से शुरू होकर 31 दिसंबर 2025 तक जारी रहेगी। इस बीच जो भी नियोक्ता और कर्मचारी ESIC पोर्टल या अन्य अधिकृत माध्यमों से पंजीकरण कराते हैं, उन्हें योजना का पूरा लाभ मिलेगा।

इस योजना के मुख्य लाभ

पहला बड़ा लाभ यह है कि अगर कोई नियोक्ता अपने कर्मचारियों का पहली बार ESIC में रजिस्ट्रेशन कराता है, तो उसे पहले की कोई भी चूक के लिए न कानूनी नोटिस मिलेगा, न ही उस पर जुर्माना लगेगा। यह पूरी तरह से ‘एम्नेस्टी स्कीम’ के रूप में लागू की गई है।

दूसरा, रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी है। नियोक्ता श्रम सुविधा पोर्टल, ESIC की वेबसाइट या MCA पोर्टल से सीधे पंजीकरण कर सकते हैं।

तीसरा, पंजीकरण की तारीख को स्वयं नियोक्ता निर्धारित कर सकता है। इसका मतलब है कि वह अपने पंजीकरण को पीछे की तारीख से भी मान्य करा सकता है, बशर्ते वह उसकी घोषणा पंजीकरण के समय कर दे।

चौथा, इस योजना के माध्यम से कर्मचारियों को इलाज, मातृत्व लाभ, बीमारी भत्ता, विकलांगता सहायता और मृत्यु सहायता जैसे लाभ तुरंत मिलने लगते हैं। वहीं, कुछ मामलों में नियोक्ताओं को योग्यता अनुसार कुछ श्रेणियों में नियोक्ताओं को ₹3,000 तक की प्रेरणा राशि भी प्रदान की जा सकती है।

ESIC से मिलने वाले लाभ

ESIC स्कीम के अंतर्गत कर्मचारी और उनके परिवार को सरकारी दर पर या निशुल्क चिकित्सा सेवाएं मिलती हैं। इसके अलावा कर्मचारियों को काम के दौरान घायल होने या बीमार होने की स्थिति में आय का विकल्प दिया जाता है। गर्भवती महिलाओं को मातृत्व लाभ मिलता है, और अगर कर्मचारी विकलांग हो जाता है या मृत्यु हो जाती है, तो उनके परिवार को सहायता दी जाती है।

इन सभी सुविधाओं का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है और यह पूरे भारत में लागू होता है।

रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया – चरण दर चरण

  1. सबसे पहले ESIC की आधिकारिक वेबसाइट www.esic.gov.in पर जाएं।
  2. “Employer Registration” सेक्शन पर क्लिक करें।
  3. मांगी गई जानकारी जैसे कंपनी का नाम, पता, व्यवसाय का प्रकार, नियोक्ता का विवरण भरें।
  4. दस्तावेज़ अपलोड करें जैसे PAN कार्ड, पता प्रमाण, GST प्रमाणपत्र आदि।
  5. अपने कर्मचारियों की जानकारी दर्ज करें – नाम, पद, वेतन, नियुक्ति की तारीख।
  6. प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक यूनिक पंजीकरण नंबर प्राप्त होगा।

रजिस्ट्रेशन के बाद संबंधित कर्मचारी भी ESIC के पोर्टल पर जाकर अपना विवरण चेक कर सकते हैं और सुविधा का लाभ ले सकते हैं।

किन्हें करना चाहिए पंजीकरण?

इस योजना का लाभ विशेष रूप से उन संस्थानों को उठाना चाहिए जिनके यहां 10 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं। उदाहरण के लिए:

  • छोटे और मध्यम दर्जे की फैक्ट्रियां
  • निर्माण कार्य वाली कंपनियां
  • निजी स्कूल, कॉलेज और संस्थान
  • होटल और रेस्टोरेंट्स
  • सर्विस सेंटर्स, ऑटो गैरेज, ब्यूटी पार्लर, आदि

इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति ठेकेदारी के माध्यम से मजदूरों से काम करवा रहा है, तो उसे भी इस योजना में पंजीकरण करना अनिवार्य है।

सरकार का उद्देश्य और संदेश

ESIC ने Spree 2025 योजना की घोषणा करते हुए यह स्पष्ट कहा है कि अब हमारा उद्देश्य प्रवर्तन नहीं बल्कि सहयोग है। यानी अब सरकार और संस्थान मिलकर सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। यह योजना असंगठित क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

सरकार का यह भी मानना है कि अगर लोग स्वेच्छा से पंजीकरण कराते हैं तो भविष्य में उन्हें किसी भी कानूनी उलझन या दंड से बचाया जा सकता है।

कर्मचारियों को क्यों दिलवाना चाहिए रजिस्ट्रेशन?

यदि आप एक कर्मचारी हैं और आपका संस्थान अभी तक ESIC में पंजीकृत नहीं है, तो यह समय है जब आपको अपने हक के लिए आवाज उठानी चाहिए। Spree 2025 योजना के तहत अब आप बिना किसी परेशानी के सामाजिक सुरक्षा कवर में आ सकते हैं। इस योजना का लाभ दिलवाने के लिए आप अपने HR या मालिक से संपर्क करें और उन्हें इस योजना की जानकारी दें।

योजना के बारे में सामान्य प्रश्न

प्रश्न: क्या योजना सिर्फ नई कंपनियों के लिए है?
उत्तर: नहीं, यह सभी कंपनियों के लिए है जो पहले ESIC में पंजीकृत नहीं थीं या अभी तक पंजीकरण नहीं करवा पाई हैं।

प्रश्न: क्या पहले के बकाया का भुगतान करना होगा?
उत्तर: नहीं, योजना के तहत पिछले किसी भी प्रकार के बकाया, दंड या कानूनी कार्रवाई से छूट दी गई है।

प्रश्न: क्या योजना में रजिस्ट्रेशन शुल्क लगता है?
उत्तर: नहीं, रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया मुफ्त है। लेकिन रजिस्ट्रेशन के बाद नियोक्ता को हर महीने कर्मचारी की सैलरी का कुछ प्रतिशत योगदान ESIC में देना होता है।

प्रश्न: योजना कब तक मान्य है?
उत्तर: योजना 1 जुलाई 2025 से शुरू हुई है और 31 दिसंबर 2025 तक मान्य है।

निष्कर्ष

Spree 2025 योजना भारत सरकार की एक दूरदर्शी पहल है, जो उन लाखों कर्मचारियों और नियोक्ताओं को मुख्यधारा में लाने का कार्य करेगी जो अब तक ESIC की सुविधा से वंचित थे। यह योजना सभी छोटे और बड़े संस्थानों के लिए एक सुनहरा मौका है कि वे बिना किसी डर या परेशानी के सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजना में शामिल हों।

अगर आप एक व्यवसायी हैं तो आज ही पंजीकरण करवाएं। और यदि आप एक कर्मचारी हैं तो अपने संस्थान से संपर्क करें और इस योजना के बारे में उन्हें जानकारी दें।

याद रखिए, अब किसी भी कर्मचारी को इलाज, बीमा या आय सुरक्षा से वंचित नहीं रहना चाहिए – क्योंकि अब है Spree 2025।

Gyan Singh Rjpoot

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दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY): ग्रामीण युवाओं के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ठोस प्रयास

परिचय:
भारत एक विशाल ग्रामीण देश है, जहाँ आज भी देश की अधिकांश आबादी गाँवों में निवास करती है। ये गाँव न केवल भारत की आत्मा हैं, बल्कि देश की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संरचना की नींव भी हैं। लेकिन इन गाँवों में रहने वाले लाखों युवाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोज़गार की कमी है। जब शिक्षा पूरी हो जाती है, तो सवाल उठता है – “अब क्या करें?”

इन सवालों और चुनौतियों का जवाब है – “दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY)”। यह योजना न केवल रोज़गार का साधन बनती है, बल्कि युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने का ठोस रास्ता भी दिखाती है। यह योजना एक सपना है – गाँव के हर घर में रोज़गार हो, हर युवा में आत्मविश्वास हो और हर परिवार की आर्थिक स्थिति मज़बूत हो।

योजना का शुभारंभ:
डीडीयू-जीकेवाई को भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर 25 सितंबर 2014 को लॉन्च किया था। इसका उद्देश्य ग्रामीण गरीब युवाओं को कौशल विकास के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान करना था, जिससे उन्हें उद्योगों की आवश्यकता के अनुसार नौकरी पाने में मदद मिल सके।

यह योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत चलती है और इसका दायरा पूरे भारत में है, खासकर उन राज्यों में जहां गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी की दर अधिक है। डीडीयू-जीकेवाई इस मिशन का एक प्रमुख स्तंभ है, जो गरीबी को जड़ से खत्म करने की दिशा में काम करता है।

योजना की विशेषताएं:

यह योजना 15 से 35 वर्ष के बीच के ग्रामीण गरीब युवाओं के लिए है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला, अल्पसंख्यक और दिव्यांगजन जैसी विशेष श्रेणियों के लिए अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष तक है।

यह पूरी तरह से निःशुल्क है – प्रशिक्षण, भोजन, आवास, पोशाक, अध्ययन सामग्री, सब कुछ बिना किसी शुल्क के दिया जाता है।

योजना के तहत चयनित युवाओं को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र दिए जाते हैं। ये प्रमाण पत्र भारत के किसी भी कोने में नौकरी पाने में सहायक होते हैं।

प्रशिक्षण व्यावसायिक आवश्यकताओं पर आधारित होता है – जैसे आईटी, स्वास्थ्य सेवा, आतिथ्य, खुदरा, निर्माण, ऑटोमोबाइल, फैशन डिजाइनिंग, सौंदर्य कल्याण, आदि।

प्रशिक्षण पूरा होने के बाद युवाओं को नौकरी पाने में पूरी सहायता प्रदान की जाती है। कई मामलों में, कंपनियाँ सीधे प्रशिक्षण केंद्रों पर आती हैं और चयन करती हैं।

प्रशिक्षण की अवधि पाठ्यक्रम के आधार पर 3 महीने से 12 महीने तक हो सकती है।

समस्या की जड़ पर प्रहार:
भारत में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। कई युवा अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद या तो खेती में लग जाते हैं या बड़े शहरों में चले जाते हैं। वहाँ उन्हें बहुत कम वेतन पर अस्थायी और असुरक्षित नौकरियाँ मिलती हैं। डीडीयू-जीकेवाई इस स्थिति को बदलने का काम करता है। यह गाँव में रहने वाले युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार के योग्य बनाता है। इससे पलायन रुकता है, गाँव की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है और सामाजिक ताना-बाना भी मजबूत होता है।

महिलाओं की भागीदारी:
इस योजना की एक खास बात यह है कि इसमें महिलाओं को विशेष प्राथमिकता दी गई है। आमतौर पर ग्रामीण इलाकों में लड़कियां जल्दी पढ़ाई छोड़ देती हैं और उनके लिए बहुत कम अवसर उपलब्ध होते हैं। यह योजना ऐसी लड़कियों को हुनरमंद बनाने और आजीविका से जोड़ने का अवसर देती है। अब महिलाएं प्रशिक्षण लेकर विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं और अपने परिवार का सहारा बन रही हैं। कहानी के जरिए समझें: उत्तर प्रदेश के सुदूर गांव की एक लड़की सीमा की कल्पना करें। सीमा ने 12वीं पास कर ली है, लेकिन उसके पास आगे की पढ़ाई के लिए संसाधन नहीं हैं। परिवार की हालत भी अच्छी नहीं है। फिर उसे DDU-GKY के बारे में पता चलता है। वह नजदीकी ट्रेनिंग सेंटर जाती है, आवेदन करती है और हॉस्पिटैलिटी का कोर्स कर लेती है। 6 महीने की ट्रेनिंग के बाद सीमा को एक मशहूर होटल में नौकरी मिल जाती है। अब वह न सिर्फ आत्मनिर्भर है, बल्कि अपने घर की आर्थिक जिम्मेदारियां भी निभा रही है। इस योजना ने सीमा जैसे लाखों युवाओं की जिंदगी बदल दी है। यह सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि अवसरों की एक खिड़की है, जो गांवों के युवाओं के लिए खुली है। प्रमुख प्रशिक्षण पाठ्यक्रम: DDU-GKY कई अलग-अलग क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करता है। इनमें शामिल हैं:

सूचना प्रौद्योगिकी और डेटा प्रबंधन

स्वास्थ्य सेवा और संबद्ध चिकित्सा क्षेत्र

आतिथ्य प्रबंधन और होटल सेवाएँ

खुदरा विपणन

निर्माण कौशल

वाहन मरम्मत और संचालन

सौंदर्य और फैशन डिजाइन

प्रशिक्षण केंद्र में कैसे शामिल हों:

अपने जिले के ग्रामीण विकास विभाग या जिला परियोजना कार्यालय से संपर्क करें।

उपलब्ध पाठ्यक्रमों और केंद्रों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए योजना की वेबसाइट (ddugky.gov.in) पर जाएँ।

आधार कार्ड, शैक्षिक प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आकार की तस्वीरें, बीपीएल प्रमाण पत्र आदि जैसे आवश्यक दस्तावेज़ तैयार रखें।

प्रशिक्षण केंद्र में काउंसलिंग प्रक्रिया के माध्यम से पाठ्यक्रम का चयन किया जाता है।

Gyan Singh Rjpoot