अब हर गांव में मिलेगा जनधन खाता, बीमा और पेंशन – जानें योजना का पूरा लाभ

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भारत में आर्थिक सशक्तिकरण की लहर अब हर गांव तक पहुंच रही है। पहले जहां लोगों को बैंक, बीमा या पेंशन जैसी जरूरी सेवाओं के लिए शहरों की ओर भागना पड़ता था, वहीं अब वही सेवाएं गांव की चौपाल तक पहुंच रही हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने जुलाई 2025 से शुरू किए गए “वित्तीय समावेशन अभियान” के जरिए हर गांव के नागरिक तक बैंकिंग, बीमा और पेंशन योजनाओं को पहुंचाने की ऐतिहासिक शुरुआत की है।

इस ब्लॉग में हम इस योजना से जुड़े हर पहलू को विस्तार से समझेंगे- यह अभियान क्या है, इसमें कौन-कौन सी योजनाएं शामिल की गई हैं और इससे आम ग्रामीण जनता को क्या सीधा लाभ मिलेगा।

क्या है “वित्तीय समावेशन अभियान”?

“वित्तीय समावेशन अभियान” या “वित्तीय समावेशन अभियान” उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 1 जुलाई 2025 से शुरू किया गया एक विशेष कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य है- गांव-गांव जाकर उन लोगों को बैंकिंग, बीमा और पेंशन सेवाओं से जोड़ना जो अभी भी इनसे वंचित हैं। यह पहल 30 सितंबर 2025 तक प्रभाव में रहेगी, जिसके दौरान प्रत्येक गांव स्तर की संस्था में केंद्रित कैंप आयोजित किए जाएंगे। इन कैंपों में नागरिकों को यह सुविधा दी जाएगी कि वे लोग अपना बैंक खाता खुलवा सकते हैं, बीमा योजनाओं में नामांकन करवा सकते हैं और पेंशन योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। जनधन खाता – आत्मनिर्भरता की ओर पहला कदम “जनधन योजना” यानी प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) भारत सरकार की एक ऐसी योजना है जिसने देश भर के करोड़ों गरीब लोगों को पहली बार बैंकिंग से जोड़ा। इस योजना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप बिना एक भी पैसा जमा किए बैंक खाता खुलवा सकते हैं। जनधन खाते के मुख्य लाभ: खाता जीरो बैलेंस पर खुलता है – यानी कोई न्यूनतम राशि जमा करने की बाध्यता नहीं है। रुपे डेबिट कार्ड उपलब्ध है, जिससे पैसे निकालना, जमा करना और खरीदारी करना आसान हो जाता है। 2 लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा – यह लाभ तभी मिलता है जब आपके खाते में कोई सक्रिय लेनदेन हो। सीधा सरकारी लाभ – पीएम किसान, गैस सब्सिडी या वृद्धावस्था पेंशन जैसी योजनाओं की राशि सीधे इस खाते में आती है।

अब नया क्या है?

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस योजना को गांव-गांव तक पहुंचाया है और सुनिश्चित किया है कि हर परिवार में कम से कम एक व्यक्ति के पास जनधन खाता हो। इसके लिए बैंकों, पंचायत विभाग और स्थानीय अधिकारियों की मदद से कैंप लगाए जा रहे हैं।

बीमा योजनाएं – कम प्रीमियम में बड़ी सुरक्षा

गांवों में बीमा के बारे में अक्सर जानकारी का अभाव रहता है। लेकिन यह योजना उस कमी को दूर कर रही है। अब ग्रामीण लोग सालाना सिर्फ ₹20 से ₹436 खर्च करके ₹2 लाख तक का बीमा कवर पा सकते हैं।

दो मुख्य बीमा योजनाएँ:

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY)

पात्रता: 18-70 वर्ष की आयु के नागरिक

प्रीमियम: ₹20 प्रति वर्ष

लाभ:

अगर किसी व्यक्ति की आकस्मिक मृत्यु होती है या वह पूरी तरह अक्षम हो जाता है, तो उसे दो लाख रुपये तक का बीमा लाभ प्रदान किया जाएगा।

आंशिक विकलांगता पर ₹1 लाख

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY)

पात्रता: 18-50 वर्ष की आयु

प्रीमियम: ₹436 प्रति वर्ष

लाभ: मृत्यु होने पर ₹2 लाख का बीमा

यह बीमा क्यों ज़रूरी है?

गांवों में बहुत से लोग खेतों में काम करने या दिहाड़ी मज़दूरी करने जैसे ख़तरनाक काम करते हैं। ऐसे में एक छोटी सी दुर्घटना पूरे परिवार की आर्थिक कमर तोड़ सकती है। लेकिन ये योजनाएँ कम लागत पर बड़े लाभ प्रदान करती हैं।

अटल पेंशन योजना – वृद्धावस्था गारंटी
हममें से बहुत से लोग बुढ़ापे को लेकर अनिश्चित हैं। खास तौर पर असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोग (जैसे दिहाड़ी मजदूर, घरेलू कामगार आदि) रिटायरमेंट प्लानिंग नहीं कर पाते हैं। अटल पेंशन योजना (APY) इस समस्या का समाधान है।

मुख्य बिंदु:
पात्रता: 18-40 वर्ष की आयु के नागरिक

फायदे के रूप में, 60 साल पूरे होने के पश्चात लाभार्थी को प्रतिमाह ₹1,000 से ₹5,000 तक की पेंशन राशि प्राप्त होगी।

योगदान: आयु और पेंशन राशि के अनुसार मासिक राशि जमा करनी होगी (₹42 से ₹210 तक)

अगर आप जल्दी जुड़ते हैं, तो आपको कम राशि में अधिक लाभ मिलेगा।

अब यह योजना गांवों तक कैसे पहुंच रही है?

इस अभियान के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर अटल पेंशन योजना में ऑन-स्पॉट रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। बैंकिंग मित्र के माध्यम से लोगों को तुरंत फॉर्म भरवाकर योजना से जोड़ा जा रहा है।

केवाईसी और आधार लिंक करना भी आसान
कई ग्रामीण लाभार्थी सरकारी योजनाओं से सिर्फ इसलिए वंचित रह जाते हैं क्योंकि उनके बैंक खातों में केवाईसी या आधार अपडेट नहीं है। इस अभियान में ये सारे काम ग्राम पंचायत स्तर पर ही पूरे किए जा रहे हैं।

बायोमेट्रिक सत्यापन

मोबाइल नंबर लिंक करना

आधार-बैंक खाता सीडिंग

यूपीआई सक्षमीकरण

ये सारी डिजिटल सेवाएं शिविरों में उपलब्ध हैं।

सबसे ज्यादा लाभ किसे मिलेगा?

लाभार्थी वर्गकैसे मिलेगा लाभ
गरीब ग्रामीणबैंक खाता, बीमा, पेंशन सब मुफ्त या नाममात्र में
महिलाएंजनधन खाते से DBT और सुरक्षा योजनाओं की सीधी पहुंच
वृद्धजनअटल पेंशन योजना से बुढ़ापे में आत्मनिर्भरता
युवाबीमा योजनाओं और बैंकिंग से जुड़ाव

सरकार का विजन: कोई भी पीछे न छूटे

उत्तर प्रदेश सरकार इस अभियान को महज औपचारिकता नहीं मान रही है, बल्कि इसे “आर्थिक आजादी” की दिशा में एक ठोस कदम के तौर पर देख रही है। हर जिले में नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, जो साप्ताहिक आधार पर प्रगति रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।

राज्य सरकार का साफ कहना है: “अगर हर व्यक्ति का बैंक खाता, बीमा और पेंशन लिंकेज हो जाए, तो गरीबी की सबसे बड़ी जंजीर को तोड़ा जा सकता है।”

यह अभियान न केवल आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह सोच में बदलाव भी है – अब ग्रामीण खुद को किसी से कम नहीं समझेंगे। बैंकिंग, बीमा और पेंशन जैसी सेवाएं अब उनके दरवाजे पर आ गई हैं।

तो अगर आप गांव में रहते हैं, या आपके परिवार के सदस्य गांव में रहते हैं – तो जुड़ने का यह सबसे अच्छा मौका है। क्योंकि अब शहर नहीं, बल्कि गांव आर्थिक क्रांति का अगला केंद्र बनेगा।

Gyan Singh Rjpoot

Employment Linked Incentive Yojana 2025: युवाओं के लिए पहली नौकरी और उद्योगों को बढ़ावा देने वाली ऐतिहासिक योजना :

भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है। हर साल लाखों युवा अपनी शिक्षा पूरी करके नौकरी की तलाश में निकल पड़ते हैं। लेकिन आज के प्रतिस्पर्धी युग में पहली नौकरी पाना एक कठिन चुनौती बन गया है। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 1 जुलाई 2025 को एक नई योजना की घोषणा की, जिसका नाम है – रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना 2025, यानी “रोजगार आधारित प्रोत्साहन योजना”।

यह योजना उन युवाओं के लिए उम्मीद की किरण है जो पहली बार औपचारिक क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं, साथ ही यह कंपनियों के लिए आर्थिक रूप से मददगार साबित होगी। इस लेख में हम इस योजना की हर महत्वपूर्ण जानकारी विस्तार से देंगे ताकि पाठक इसे अच्छे से समझ सकें और इसका लाभ उठा सकें।

योजना का उद्देश्य

रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना 2025 का उद्देश्य भारत के युवाओं को रोजगार से जोड़ना है, खासकर उन युवाओं को जो पहली बार नौकरी में आ रहे हैं। इसके साथ ही सरकार ने उद्योगों और निजी कंपनियों को प्रोत्साहित करने की रणनीति भी बनाई है, ताकि वे अधिक से अधिक नए कर्मचारियों को नियुक्त करें और उन्हें प्रशिक्षित करें।

सरकार का लक्ष्य इस योजना के माध्यम से अगले दो वर्षों में लगभग 3.5 करोड़ नए रोजगार के अवसर पैदा करना है। यह योजना न केवल बेरोजगारी को कम करने में मदद करेगी, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि में भी योगदान देगी।

योजना का शुभारंभ और विस्तार

इस योजना की घोषणा 1 जुलाई 2025 को की गई थी। इस योजना को श्रम मंत्रालय और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के माध्यम से लागू किया जाएगा। यह देश भर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगी। इसका उद्देश्य अधिक से अधिक युवाओं को संगठित क्षेत्र (औपचारिक क्षेत्र) में शामिल करना और उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है।

युवाओं को लाभ

इस योजना के तहत पहली बार नौकरी करने वाले युवाओं को वित्तीय सहायता दी जाएगी। अगर कोई युवा पहली बार EPFO ​​में पंजीकरण कराता है, तो सरकार उसकी सहायता के रूप में दो किस्तों में कुल ₹15,000 प्रदान करेगी। यह राशि सीधे उसके बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी।

यह सहायता उन युवाओं के लिए है जिनका मासिक वेतन ₹15,000 या उससे कम है और जिन्होंने पहले कभी EPFO ​​के तहत किसी कंपनी या संस्थान में काम नहीं किया है। यह सरकार की एक बड़ी पहल है जो पहली बार नौकरी में कदम रखने वाले युवाओं को आत्मविश्वास देगी।

उद्योगों और नियोक्ताओं को लाभ

रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना 2025 न केवल युवाओं के लिए है, बल्कि यह कंपनियों और उद्योगों को नए कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए भी प्रोत्साहित करती है। योजना के तहत अगर कोई कंपनी नए कर्मचारी को नियुक्त करती है और EPFO ​​में पंजीकृत है, तो सरकार उस कर्मचारी के लिए कंपनी को ₹3,000 प्रति माह तक की सब्सिडी देगी।

यह सब्सिडी अधिकतम दो साल के लिए दी जाएगी। विनिर्माण क्षेत्र जैसे विशेष क्षेत्रों में यह सहायता चार साल तक बढ़ाई जा सकती है। इसका सीधा लाभ छोटे और मध्यम उद्यमों (MSME) को मिलेगा, जो अक्सर कर्मचारियों की लागत को लेकर चिंतित रहते हैं।

पात्रता की शर्तें
युवाओं के लिए:

आवेदक की आयु 18 से 30 वर्ष के बीच होनी चाहिए (कुछ विशेष श्रेणियों को 35 वर्ष तक की छूट मिल सकती है)

ईपीएफओ में यह उनका पहला पंजीकरण होना चाहिए

मासिक वेतन ₹15,000 या उससे कम होना चाहिए

पहले किसी सरकारी या निजी कंपनी में काम नहीं किया हो

कंपनियों के लिए:

कंपनी का ईपीएफओ में पंजीकृत होना अनिवार्य है

यह लाभ केवल नए कर्मचारियों के लिए मान्य होगा

वेतन का भुगतान डिजिटल माध्यम से करना होगा

कर्मचारी विवरण और अंशदान की रिपोर्ट समय पर देना आवश्यक होगा

आवेदन प्रक्रिया

सरकार ने इस योजना को पूरी तरह से ऑनलाइन रखने की व्यवस्था की है ताकि पारदर्शिता बनी रहे और लाभ सीधे पात्र लोगों तक पहुंचे। इसके लिए श्रम मंत्रालय और ईपीएफओ की वेबसाइट पर एक समर्पित पोर्टल बनाया गया है।

आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार है:

कंपनी एक नया कर्मचारी नियुक्त करती है

कर्मचारी EPFO ​​में पंजीकृत होता है

कर्मचारी और कंपनी दोनों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड की जाती है

सरकार द्वारा सत्यापन के बाद सब्सिडी स्वीकृत की जाती है

कर्मचारी को दो किस्तों में ₹15,000 की सहायता मिलती है

कंपनी को प्रति माह ₹3,000 तक की सहायता दी जाती है

योजना से जुड़े संभावित लाभ

इस योजना के लाभ बहुआयामी हैं। इससे न केवल युवाओं को लाभ होगा, बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था, औद्योगिक विकास और सामाजिक संतुलन भी मजबूत होगा |

आर्थिक दृष्टिकोण से:

रोजगार के अवसर बढ़ेंगे

संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों की संख्या बढ़ेगी

कर और EPFO ​​जैसी संस्थाओं में योगदान बढ़ेगा

सामाजिक दृष्टिकोण से:

युवाओं में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का विकास होगा

परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा

ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे

चुनौतियाँ और समाधान

हर योजना की तरह इस योजना को भी कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है:

योजना की जानकारी सभी कंपनियों तक पहुँचना

डिजिटल पोर्टल की तकनीकी कठिनाइयाँ

गलत दावों और पात्रता के दुरुपयोग का डर

सब्सिडी वितरण में देरी

इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सख्त निगरानी और सत्यापन प्रणाली लागू की है ताकि योजना का दुरुपयोग न हो और सही लाभार्थी को ही सहायता मिले।

Employment Linked Incentive Yojana 2025 is a visionary and youth-centric scheme that will work to strengthen the social and economic framework of India. This scheme will not only help the youth to get their first job, but it will also inspire companies to provide more jobs.

This initiative is a reflection of the thinking of the Government of India, which is moving towards self-reliant India and inclusive development. If you are a youth and want to start your career, or you are an entrepreneur and are looking for qualified employees, then this scheme can be very useful for you.

Gyan Singh Rjpoot

दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY): ग्रामीण युवाओं के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ठोस प्रयास

परिचय:
भारत एक विशाल ग्रामीण देश है, जहाँ आज भी देश की अधिकांश आबादी गाँवों में निवास करती है। ये गाँव न केवल भारत की आत्मा हैं, बल्कि देश की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संरचना की नींव भी हैं। लेकिन इन गाँवों में रहने वाले लाखों युवाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोज़गार की कमी है। जब शिक्षा पूरी हो जाती है, तो सवाल उठता है – “अब क्या करें?”

इन सवालों और चुनौतियों का जवाब है – “दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY)”। यह योजना न केवल रोज़गार का साधन बनती है, बल्कि युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने का ठोस रास्ता भी दिखाती है। यह योजना एक सपना है – गाँव के हर घर में रोज़गार हो, हर युवा में आत्मविश्वास हो और हर परिवार की आर्थिक स्थिति मज़बूत हो।

योजना का शुभारंभ:
डीडीयू-जीकेवाई को भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर 25 सितंबर 2014 को लॉन्च किया था। इसका उद्देश्य ग्रामीण गरीब युवाओं को कौशल विकास के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान करना था, जिससे उन्हें उद्योगों की आवश्यकता के अनुसार नौकरी पाने में मदद मिल सके।

यह योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत चलती है और इसका दायरा पूरे भारत में है, खासकर उन राज्यों में जहां गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी की दर अधिक है। डीडीयू-जीकेवाई इस मिशन का एक प्रमुख स्तंभ है, जो गरीबी को जड़ से खत्म करने की दिशा में काम करता है।

योजना की विशेषताएं:

यह योजना 15 से 35 वर्ष के बीच के ग्रामीण गरीब युवाओं के लिए है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला, अल्पसंख्यक और दिव्यांगजन जैसी विशेष श्रेणियों के लिए अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष तक है।

यह पूरी तरह से निःशुल्क है – प्रशिक्षण, भोजन, आवास, पोशाक, अध्ययन सामग्री, सब कुछ बिना किसी शुल्क के दिया जाता है।

योजना के तहत चयनित युवाओं को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र दिए जाते हैं। ये प्रमाण पत्र भारत के किसी भी कोने में नौकरी पाने में सहायक होते हैं।

प्रशिक्षण व्यावसायिक आवश्यकताओं पर आधारित होता है – जैसे आईटी, स्वास्थ्य सेवा, आतिथ्य, खुदरा, निर्माण, ऑटोमोबाइल, फैशन डिजाइनिंग, सौंदर्य कल्याण, आदि।

प्रशिक्षण पूरा होने के बाद युवाओं को नौकरी पाने में पूरी सहायता प्रदान की जाती है। कई मामलों में, कंपनियाँ सीधे प्रशिक्षण केंद्रों पर आती हैं और चयन करती हैं।

प्रशिक्षण की अवधि पाठ्यक्रम के आधार पर 3 महीने से 12 महीने तक हो सकती है।

समस्या की जड़ पर प्रहार:
भारत में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। कई युवा अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद या तो खेती में लग जाते हैं या बड़े शहरों में चले जाते हैं। वहाँ उन्हें बहुत कम वेतन पर अस्थायी और असुरक्षित नौकरियाँ मिलती हैं। डीडीयू-जीकेवाई इस स्थिति को बदलने का काम करता है। यह गाँव में रहने वाले युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार के योग्य बनाता है। इससे पलायन रुकता है, गाँव की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है और सामाजिक ताना-बाना भी मजबूत होता है।

महिलाओं की भागीदारी:
इस योजना की एक खास बात यह है कि इसमें महिलाओं को विशेष प्राथमिकता दी गई है। आमतौर पर ग्रामीण इलाकों में लड़कियां जल्दी पढ़ाई छोड़ देती हैं और उनके लिए बहुत कम अवसर उपलब्ध होते हैं। यह योजना ऐसी लड़कियों को हुनरमंद बनाने और आजीविका से जोड़ने का अवसर देती है। अब महिलाएं प्रशिक्षण लेकर विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं और अपने परिवार का सहारा बन रही हैं। कहानी के जरिए समझें: उत्तर प्रदेश के सुदूर गांव की एक लड़की सीमा की कल्पना करें। सीमा ने 12वीं पास कर ली है, लेकिन उसके पास आगे की पढ़ाई के लिए संसाधन नहीं हैं। परिवार की हालत भी अच्छी नहीं है। फिर उसे DDU-GKY के बारे में पता चलता है। वह नजदीकी ट्रेनिंग सेंटर जाती है, आवेदन करती है और हॉस्पिटैलिटी का कोर्स कर लेती है। 6 महीने की ट्रेनिंग के बाद सीमा को एक मशहूर होटल में नौकरी मिल जाती है। अब वह न सिर्फ आत्मनिर्भर है, बल्कि अपने घर की आर्थिक जिम्मेदारियां भी निभा रही है। इस योजना ने सीमा जैसे लाखों युवाओं की जिंदगी बदल दी है। यह सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि अवसरों की एक खिड़की है, जो गांवों के युवाओं के लिए खुली है। प्रमुख प्रशिक्षण पाठ्यक्रम: DDU-GKY कई अलग-अलग क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करता है। इनमें शामिल हैं:

सूचना प्रौद्योगिकी और डेटा प्रबंधन

स्वास्थ्य सेवा और संबद्ध चिकित्सा क्षेत्र

आतिथ्य प्रबंधन और होटल सेवाएँ

खुदरा विपणन

निर्माण कौशल

वाहन मरम्मत और संचालन

सौंदर्य और फैशन डिजाइन

प्रशिक्षण केंद्र में कैसे शामिल हों:

अपने जिले के ग्रामीण विकास विभाग या जिला परियोजना कार्यालय से संपर्क करें।

उपलब्ध पाठ्यक्रमों और केंद्रों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए योजना की वेबसाइट (ddugky.gov.in) पर जाएँ।

आधार कार्ड, शैक्षिक प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आकार की तस्वीरें, बीपीएल प्रमाण पत्र आदि जैसे आवश्यक दस्तावेज़ तैयार रखें।

प्रशिक्षण केंद्र में काउंसलिंग प्रक्रिया के माध्यम से पाठ्यक्रम का चयन किया जाता है।

Gyan Singh Rjpoot

“NAVYA” योजना 2025: बेटियों को मिलेगा तकनीकी उड़ान का मौका :

परिचय: अब बेटियां सिर्फ पढ़ाई ही नहीं करेंगी, बल्कि उड़ान भी भरेंगी
आज का भारत बदल रहा है। जहां पहले लड़कियां सिर्फ स्कूल तक ही सीमित थीं, वहीं अब वही लड़कियां ड्रोन उड़ा रही हैं, सोलर पैनल लगा रही हैं और मोबाइल रिपेयरिंग जैसे क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही हैं। यह बदलाव अचानक नहीं आया – इसके पीछे भारत सरकार की एक नई क्रांतिकारी पहल है: “नव्या योजना 2025″।

24 जून 2025 को भारत सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है जो ग्रामीण भारत की किशोरियों के जीवन में उजाला लाने वाला है। नव्या योजना का उद्देश्य सिर्फ तकनीकी शिक्षा देना ही नहीं है, बल्कि बेटियों को आत्मनिर्भर बनाना है – उन्हें हिम्मत और हुनर ​​देना है, ताकि वे सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि अपने परिवार और समाज के लिए भी बदलाव ला सकें।

बेटियों के उडान की तयारी ?

“NAVYA” का पूरा नाम है –
युवा किशोरियों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से आकांक्षाओं का पोषण

इस योजना की शुरुआत साझेदारी में की गई थी भारत सरकार के दो महत्वपूर्ण मंत्रालयों के साथ मिलकर इसे दिया गया है:

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MWCD)

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (MSDE)

इस योजना के तहत देशभर में 16 से 18 साल की किशोरियों को तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे नए जमाने के साथ तालमेल बिठा सकें।

योजना की पृष्ठभूमि: बेटियों की उड़ान की तैयारी

भारत के कई हिस्सों में आज भी किशोरियाँ सिर्फ़ घरेलू कामों तक ही सीमित हैं। शिक्षा के बाद भी उनके पास कोई स्थायी रोज़गार का विकल्प नहीं है। ऐसे में नव्या योजना एक ऐसा मंच है जहाँ उन्हें व्यावहारिक शिक्षा और प्रशिक्षण के ज़रिए आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा।

यह योजना ख़ास तौर पर उन इलाकों में लागू की जा रही है जिन्हें आकांक्षी ज़िले कहा जाता है- जहाँ शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के अवसर कम हैं। उदाहरण के लिए, इस योजना की शुरुआत उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले से की गई है।

योजना का लक्ष्य क्या है?

नव्या योजना का उद्देश्य सिर्फ़ प्रशिक्षण देना ही नहीं है, बल्कि बेटियों को सशक्त, सक्षम और सक्षम बनाना इस योजना के मुख्य लक्ष्य हैं:

किशोरावस्था की लड़कियों को हुनरमंद बनाना – ताकि वे स्वरोजगार या नौकरी के लिए तैयार हों।

तकनीक में लड़कियों की भागीदारी बढ़ाना।

ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों की लड़कियों को तकनीकी दुनिया से जोड़ना।

समाज में लैंगिक असमानता को कम करना।

किस क्षेत्र में प्रशिक्षण दिया जाएगा?

इस योजना से बेटियों को ऐसे हुनर ​​सिखाए जाएंगे जो 21वीं सदी में रोजगार के लिए बेहद जरूरी हैं:

  1. ड्रोन संचालन
    ड्रोन उड़ाने, मैपिंग और निगरानी जैसे कार्यों का प्रशिक्षण

कृषि, रक्षा और सर्वेक्षण जैसे क्षेत्रों में उपयोगी

  1. मोबाइल रिपेयरिंग
    स्मार्टफोन हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की मरम्मत

तेजी से बढ़ते मोबाइल उद्योग में तत्काल रोजगार का अवसर

  1. सोलर पैनल लगाना
    हरित ऊर्जा क्षेत्र में काम करने का अवसर

हरित ऊर्जा मिशन से जुड़ने का अवसर

  1. एलईडी असेंबली और इलेक्ट्रिकल रिपेयर
    घरों, दफ्तरों और दुकानों में बढ़ती इलेक्ट्रॉनिक मांग को देखते हुए
  2. ब्यूटी और वेलनेस कोर्स (वैकल्पिक)
    पारंपरिक और लोकप्रिय स्वरोजगार विकल्प

इसमें कौन शामिल हो सकता है?

पात्रता:
मानदंड विवरण
आयु सीमा 16 से 18 वर्ष
शिक्षा न्यूनतम 10वीं कक्षा उत्तीर्ण
श्रेणी प्राथमिकता ईडब्ल्यूएस, बीपीएल और ग्रामीण क्षेत्रों की किशोर लड़कियां
स्थान प्राथमिकता भारत के आकांक्षी जिले

प्रशिक्षण की प्रकृति
पाठ्यक्रम अवधि: 3 से 6 महीने
पाठ्यक्रम शुल्क: पूरी तरह से निःशुल्क
भाषा: हिंदी और क्षेत्रीय भाषाएँ
प्रशिक्षण माध्यम: एनएसडीसी, आईटीआई, महिला प्रशिक्षण केंद्र
प्रमाणन: एनएसडीसी या मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त
विशेष लाभ:
नौकरियों के लिए परामर्श और साक्षात्कार सहायता
स्वरोजगार के लिए स्टार्टअप मार्गदर्शन
प्रशिक्षण के बाद ऑनलाइन पोर्टल पर नौकरी पंजीकरण सुविधा
कैसे करें आवेदन?
ऑनलाइन आवेदन (जल्द ही शुरू):
www.navya.gov.in या www.skillindia.gov.in पर पंजीकरण सुविधा
ऑफ़लाइन आवेदन:
नज़दीकी आंगनवाड़ी केंद्र, आईटीआई कॉलेज या ब्लॉक विकास कार्यालय से फ़ॉर्म प्राप्त करें

सोशल योजना का प्रभाव
नव्या योजना भारत के सामाजिक ढांचे में बड़ा बदलाव ला सकती है। जब लड़कियाँ कौशल सीखेंगी, तो वे:

परिवार की आय में योगदान देंगी

कम उम्र में शादी जैसी समस्याओं से बचेंगी

अपने पैरों पर खड़ी होंगी और आत्म-सम्मान हासिल करेंगी

समाज में महिलाओं की भूमिका बदलेगी

नव्या योजना बनाम अन्य योजनाएँ
योजना लाभार्थी क्षेत्र मुख्य उद्देश्य
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ सभी लड़कियों की शिक्षा लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देना
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना युवा सभी क्षेत्रों में रोजगार योग्य कौशल
नव्या योजना किशोर लड़कियाँ (16-18) तकनीकी और कौशल आधारित आत्मनिर्भरता |

Gyan Singh Rjpoot