
परिचय
मध्य प्रदेश की धरती पर विकास की एक नई बगिया खिल रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में एक ऐसी योजना शुरू की है जो प्रकृति के प्रति प्रेम, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण रोजगार को एक साथ जोड़ती है। इस योजना का नाम है – “एक बगिया माँ के नाम योजना 2025″। नाम से ही यह योजना एक स्नेहपूर्ण एहसास देती है, और इसका उद्देश्य यह है कि ग्रामीण महिलाएँ अपनी ज़मीन पर बगीचा बनाकर आर्थिक रूप से मजबूत बन सकें।
आज GRSNews.com पर हम आपको इस योजना के बारे में पूरी जानकारी देंगे – इसके उद्देश्य, लाभ, पात्रता, प्रक्रिया और इस योजना के माध्यम से महिलाओं को कैसे आत्मनिर्भरता की राह मिलेगी।
योजना की घोषणा कब और कहाँ हुई?
इस योजना की औपचारिक घोषणा 30 जून 2025 को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खंडवा जिले में “जल गंगा संवर्धन अभियान” के समापन समारोह के दौरान की थी। यह न केवल पर्यावरण संबंधी पहल है, बल्कि हरियाली के माध्यम से राज्य की महिलाओं को आय का साधन देने का नवाचार भी है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि, “अब महिलाएं न केवल घर चलाएंगी, बल्कि अपनी जमीन पर हरियाली उगाकर परिवार की आय भी बढ़ाएंगी।” यह कथन दर्शाता है कि सरकार महिला केंद्रित योजनाओं के प्रति गंभीर और सक्रिय है।
योजना का उद्देश्य क्या है?
एक बगिया मां के नाम योजना 2025 केवल वृक्षारोपण अभियान नहीं है। इसका उद्देश्य बहुआयामी है:
ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना
पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ जलवायु संतुलन को बढ़ावा देना
बंजर और खाली पड़ी भूमि का उपयोग करके भूमि की उत्पादकता बढ़ाना
फल और औषधीय पौधों से आय का स्रोत बनाना
स्वयं सहायता समूहों को सक्रिय और संगठित बनाना
योजना की मुख्य विशेषताएं
विशेषता विवरण
योजना का नाम एक बगिया माँ के नाम योजना 2025
आरंभ तिथि 30 जून 2025 (घोषणा), 15 अगस्त 2025 (पौधारोपण)
लाभार्थी ग्रामीण महिलाएँ और स्वयं सहायता समूह
संचालक मध्य प्रदेश सरकार, ग्राम पंचायतों के माध्यम से
सहायता पौधों की आपूर्ति, तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण
शुरुआती चरण के लिए बजट ₹900 करोड़
योजना का लाभ किसे मिलेगा?
इस योजना का मुख्य फोकस ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएँ हैं, खासकर वे जो स्वयं सहायता समूहों (SHG) से जुड़ी हैं। योजना का लाभ निम्न वर्ग की महिलाएं उठा सकती हैं:
जिनके पास अपनी जमीन है
एसएचजी के माध्यम से सामूहिक जमीन पर काम करने वाली महिलाएं
जिनका पंचायत या ग्राम रोजगार सहायक से संपर्क है
जो पौधों की देखभाल में रुचि रखती हैं
योजना का चरणबद्ध क्रियान्वयन
सरकार ने इसे दो प्रमुख चरणों में लागू करने की घोषणा की है:
● पहला चरण:
30 जून 2025 से 15 अगस्त 2025 तक – इस दौरान सरकारी जमीन पर पौधारोपण किया जाएगा। इसमें मनरेगा या सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल किया जाएगा।
● दूसरा चरण:
15 अगस्त से 15 सितंबर 2025 तक – इस दौरान निजी जमीन (जैसे महिलाओं की जमीन या एसएचजी के पास उपलब्ध जमीन) पर पौधे लगाए जाएंगे। यह वास्तविक और बड़ा चरण होगा।
कौन से पौधे लगाए जाएंगे?
योजना के तहत सरकार महिलाओं को फलदार, औषधीय और छायादार पौधे मुफ्त में उपलब्ध कराएगी। इनमें मुख्य रूप से शामिल होंगे:
फलदार पौधे: आम, अमरूद, नींबू, बेल, आंवला
औषधीय पौधे: सहजन (मुनगा), तुलसी, गिलोय
छायादार पौधे: नीम, पीपल, बरगद
इन पौधों का चयन इस आधार पर किया गया है कि ये 2-3 साल में फल देना शुरू कर देते हैं और कम देखभाल में भी फल-फूल सकते हैं।
लाभार्थी महिलाओं को क्या मिलेगा?
प्रत्येक महिला को 10-20 पौधे निःशुल्क मिलेंगे
सरकारी सहायता से प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर
फलदार पौधों के माध्यम से नियमित आय की संभावना
ग्रामीण उत्पादों की बिक्री के लिए SHG ब्रांडिंग का अवसर
योजना के लिए आवेदन कैसे करें?
फिलहाल योजना का क्रियान्वयन ग्राम पंचायत स्तर से शुरू किया गया है, इसलिए आवेदन प्रक्रिया सरल और स्थानीय है:
ग्राम पंचायत या ग्राम रोजगार सहायक से संपर्क करें
स्वयं सहायता समूह में पंजीकरण कराएं या नया स्वयं सहायता समूह बनाएं
अपनी जमीन का विवरण (खसरा नंबर आदि) दें
प्रशिक्षण और पौधे वितरण के बारे में जानकारी प्राप्त करें
स्थानीय नर्सरी से पौधे लें और समय पर उनका रोपण करें
इस योजना से संभावित लाभ
आर्थिक लाभ:
जैसे-जैसे पौधे फल देंगे, महिलाएं स्थानीय बाजार में फलों को बेच सकेंगी।
स्वयं सहायता समूह समूह “बगिया उत्पादन” नामक ब्रांड बना सकते हैं।
पर्यावरणीय लाभ:
पौधे लगाने से वातावरण में ऑक्सीजन बढ़ेगी और गर्मी कम होगी।
मिट्टी का कटाव रुकेगा और वर्षा जल संचयन भी संभव होगा।
सामाजिक लाभ:
सामूहिक रूप से काम करने से महिलाएं आत्मविश्वास से भर जाएंगी।
स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को पहचान और सम्मान मिलेगा।
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