
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां लाखों किसान अपने खेतों में मेहनत करके देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं। लेकिन पिछले कई सालों में यह महसूस किया गया है कि सरकारी योजनाएं पूरी पारदर्शिता के साथ किसानों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। कुछ मामलों में असली किसानों की जगह फर्जी लोग योजनाओं का लाभ उठा लेते हैं, जबकि कुछ जगहों पर दस्तावेजों की कमी के कारण पात्र किसान भी वंचित रह जाते हैं।
सरकार अब इन समस्याओं का स्थायी समाधान एक नई पहल के रूप में लेकर आई है – किसान पहचान पत्र या किसान आईडी। यह सिर्फ एक कार्ड नहीं है, बल्कि किसानों की एक डिजिटल पहचान है, जो अब 2025 तक हर किसान के लिए जरूरी हो गई है।
क्या है किसान पहचान पत्र?
किसान पहचान पत्र एक डिजिटल दस्तावेज है, जिसमें किसान की सभी महत्वपूर्ण जानकारी – जैसे नाम, आधार नंबर, भूमि रिकॉर्ड, बैंक खाता, मोबाइल नंबर और पारिवारिक विवरण – एक ही स्थान पर एकत्रित होती है। यह पहचान पत्र खास तौर पर इस उद्देश्य से बनाया गया है कि सरकार हर किसान की पहचान डिजिटल तरीके से सत्यापित कर सके और योजनाओं का लाभ सीधे उसके खाते में भेज सके।
यह केवल एक आम पहचान पत्र नहीं है, बल्कि यह केंद्र सरकार की ‘डिजिटल कृषि पहल’ के तहत शुरू की गई एक महत्वपूर्ण व्यवस्था है।
2025 में इसकी जरूरत क्यों बढ़ गई है?
2025 में देशभर में लागू की जा रही नई योजनाओं और तकनीकी बदलावों के चलते यह पहचान पत्र अब हर किसान के लिए अनिवार्य होता जा रहा है। इसकी जरूरत और महत्व निम्नलिखित कारणों से काफी बढ़ गया है:
- सरकारी योजनाओं में सीधे पंजीकरण के लिए जरूरी
अब प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, फसल बीमा योजना, कृषि उपकरण सब्सिडी, सोलर पंप योजना, पशुपालन योजना जैसी सभी योजनाओं में किसान पहचान पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। यानी अब इस पहचान पत्र के बिना किसी भी योजना में आवेदन नहीं किया जा सकेगा।
- डुप्लीकेट और फर्जी आवेदनों पर रोक
बीते सालों में यह बात सामने आई कि एक ही व्यक्ति ने अलग-अलग नामों से योजनाओं का लाभ उठाया, या जमीन न होने पर भी सहायता प्राप्त की। किसान पहचान पत्र के माध्यम से इस तरह की धोखाधड़ी पर लगाम लग रही है, क्योंकि इसमें किसान की पहचान, जमीन और परिवार की जानकारी एक साथ जुड़ी हुई है।
- लाभार्थी को सीधा लाभ पहुंचाना
अब किसी भी योजना की सब्सिडी या सहायता राशि सीधे किसान के खाते में ट्रांसफर की जाती है। किसान पहचान पत्र इस प्रक्रिया को सरल और तेज बनाता है। सरकार को आसानी से पता चल जाता है कि किसे और क्यों पैसा दिया जाना है। - नीति निर्माण में आसानी
जब सभी किसानों की जानकारी एक प्लेटफॉर्म पर डिजिटल रूप से उपलब्ध होगी, तो सरकार के लिए यह जानना आसान हो जाएगा कि किस योजना की कहां जरूरत है, कौन से किसान किस फसल में रुचि रखते हैं और किस क्षेत्र में सबसे ज्यादा सहायता की जरूरत है।
किस राज्य में किसान पहचान पत्र अनिवार्य हो गया है?
2025 की शुरुआत तक कई राज्य ऐसे हैं जहां यह पहचान पत्र अनिवार्य कर दिया गया है:
महाराष्ट्र: 15 अप्रैल 2025 से यहां यह नियम लागू हो गया है कि किसान पहचान पत्र के बिना पीएम-किसान जैसी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा।
उत्तर प्रदेश: राज्य सरकार ने किसानों के पंजीकरण को किसान आईडी से पूरी तरह जोड़ दिया है।
कर्नाटक: FRUITS पोर्टल के जरिए हर किसान का डिजिटल डेटा तैयार किया जा रहा है।
राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा: इन राज्यों में भी इसे लागू किया जा रहा है।
किसान पहचान पत्र के लाभ
- एक पहचान, कई योजनाओं में उपयोग
अब हर योजना में अलग-अलग पंजीकरण की जरूरत नहीं है। एक बार किसान आईडी बन जाने के बाद इसका इस्तेमाल सभी योजनाओं में किया जा सकता है। - बिचौलियों से मुक्ति
चूंकि पहचान सत्यापन डिजिटल रूप में होता है, इसलिए अब किसानों को किसी एजेंट या बिचौलिए की जरूरत नहीं है। लाभ सीधे खाते में आता है। - प्रमाण की जरूरत नहीं
पहले किसानों को हर योजना के लिए बार-बार जमीन, बैंक और पहचान संबंधी दस्तावेज जमा करने पड़ते थे। अब सब कुछ एक ही जगह लिंक होने से बार-बार दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं होगी। - सरल आवेदन प्रक्रिया
ऑनलाइन माध्यम से आवेदन करना अब पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है। आवेदन सीएससी सेंटर, कृषि कार्यालय या खुद के मोबाइल से किया जा सकता है
किसान पहचान पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया
राज्य कृषि विभाग की वेबसाइट पर जाएँ
उदाहरण:
यूपी के लिए: upagriculture.com
महाराष्ट्र के लिए: mahahd.gov.in
नया पंजीकरण प्रक्रिया चुनें
आधार संख्या और मोबाइल ओटीपी से लॉगिन करें
भूमि विवरण (खसरा/खतौनी/गाटा संख्या) दर्ज करें
बैंक खाता और IFSC कोड दर्ज करें
राशन कार्ड या परिवार पहचान पत्र अपलोड करें
आवेदन प्रक्रिया पूरी करने के पश्चात किसान को एक विशेष पहचान संख्या प्रदान की जाती है, जो उसकी डिजिटल पहचान के रूप में काम करती है।
आवश्यक दस्तावेज़
आधार कार्ड
भूमि के दस्तावेज़
बैंक खाता (पासबुक की प्रति)
मोबाइल नंबर
राशन कार्ड या परिवार पहचान पत्र
किसान पहचान पत्र न बनने पर क्या होगा?
अगर किसी किसान को 2025 में भी यह पहचान पत्र नहीं मिलता है, तो उसे सरकारी योजनाओं के लिए अपात्र घोषित किया जा सकता है। उसे कृषि सब्सिडी, बीमा योजना या फसल क्षति मुआवजा जैसी सुविधाएँ नहीं मिल पाएंगी। सरकार अब प्रत्येक लाभार्थी का डिजिटल सत्यापन करना चाहती है और इसके लिए किसान आईडी एक अनिवार्य माध्यम बन गया है।