बीमा सखी योजना 2025: ग्रामीण महिलाओं को मिलेगा रोजगार और बीमा जागरूकता में अहम भूमिका

इस समस्या के समाधान और बीमा सेवाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए सरकार ने बीमा सखी योजना शुरू की है। यह योजना न सिर्फ ग्रामीणों को बीमा के बारे में जानकारी देती है, बल्कि महिलाओं को रोजगार देकर उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाती है। इस लेख में हम इस योजना के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से जानेंगे।

क्या है बीमा सखी योजना?
बीमा सखी योजना केंद्र सरकार की एक पहल है जिसे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें बीमा एजेंट के तौर पर नियुक्त करना है। ये महिलाएँ अपने-अपने गाँव में जाकर लोगों को बीमा के बारे में जानकारी देती हैं, उन्हें योजनाओं से जोड़ती हैं और बीमा क्लेम जैसी प्रक्रियाओं में मदद करती हैं।

सरल शब्दों में कहें तो बीमा सखी गाँव की एक जागरूक महिला है जो बीमा सेवा और सामाजिक बदलाव दोनों में अहम भूमिका निभाती है।

योजना की ज़रूरत क्यों पड़ी?

भारत में, खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में, बीमा योजनाएँ अभी भी बहुत कम लोगों तक पहुँच पाई हैं। जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा और दुर्घटना बीमा जैसी योजनाओं को आम लोगों तक पहुँचाने में कई चुनौतियाँ हैं – जैसे:

सही जानकारी का अभाव

भाषा की बाधा

एजेंटों की कमी

सरकारी प्रक्रिया को लेकर भ्रम

डर या अविश्वास

बीमा सखी स्थानीय स्तर पर इन सभी समस्याओं का समाधान कर सकती हैं। क्योंकि वो उसी गाँव की होती हैं, लोगों को समझती हैं, उनकी भाषा बोलती हैं और उन पर भरोसा किया जा सकता है।

योजना का मुख्य उद्देश्य

बीमा सेवाओं की पहुँच बढ़ाना – हर गाँव और हर घर तक बीमा के बारे में जानकारी पहुँचाना।

महिलाओं को रोज़गार उपलब्ध कराना – महिलाओं को स्वरोज़गार का अवसर देना, ताकि वो आत्मनिर्भर बन सकें।

जागरूकता फैलाना – लोगों को सरल भाषा में बीमा का महत्व, योजनाओं के लाभ और दावा प्रक्रिया समझाना।

सरकारी योजनाओं का प्रचार करना – जैसे प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना आदि।

बीमा सखी बनने की पात्रता

बीमा सखी बनने के लिए कुछ सामान्य शर्तें निर्धारित की गई हैं:

आवेदन करने वाली महिला की आयु 18 वर्ष से कम और 50 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।

कम से कम 10वीं कक्षा उत्तीर्ण होनी चाहिए।

महिला किसी महिला सहायता समूह की सक्रिय सदस्य होनी चाहिए।

स्थानीय भाषा बोलने और समझने में सक्षम होनी चाहिए।

सामाजिक कार्यों में रुचि होनी चाहिए और लोगों के बीच सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

बीमा सखी के कार्य
बीमा सखी को सौंपे गए मुख्य कार्य हैं:

गांव के लोगों को बीमा योजनाओं के बारे में जागरूक करना।

बीमा फॉर्म भरने में मदद करना।

बीमा दस्तावेज जमा करना और प्रक्रिया पूरी करना।

बीमा दावा प्राप्त करने में सहायता करना।

बीमा प्रीमियम और योजना की शर्तों के बारे में जानकारी देना।

अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए शिविर या बैठकें आयोजित करना।

प्रशिक्षण प्रक्रिया

बीमा की मूल अवधारणा

सरकारी बीमा योजनाएँ

फ़ॉर्म भरने और दस्तावेज़ जमा करने की प्रक्रिया

दावा दाखिल करना और फ़ॉलो-अप करना

मोबाइल ऐप या पोर्टल का उपयोग

प्रशिक्षण के बाद बीमा सखियों को पहचान पत्र, वर्दी और कभी-कभी मोबाइल या टैबलेट जैसे उपकरण भी दिए जाते हैं।

बीमा मित्र को लाभ

कमीशन आधारित आय – बीमा मित्र को प्रत्येक सफल बीमा पॉलिसी पर ₹5 से ₹30 तक का कमीशन मिलता है।

स्थायी आय का स्रोत – नियमित रूप से लोगों को जोड़कर एक स्थिर आय विकसित की जा सकती है।

सामाजिक सम्मान – उन्हें गांव में सेवा प्रदाता के रूप में मान्यता प्राप्त है।

स्वतंत्र कार्य करने की सुविधा – परिवार की जिम्मेदारियों को संतुलित करते हुए कार्य किया जा सकता है।

सरकारी सहायता – प्रशिक्षण, उपकरण, पहचान पत्र और अन्य आवश्यक संसाधन निःशुल्क उपलब्ध हैं।

ग्रामीण लोगों को लाभ

बीमा संबंधी जानकारी अब गांव में ही उपलब्ध होगी।

बीमा योजनाओं का लाभ लेने की प्रक्रिया आसान होगी।

बीमा क्लेम प्राप्त करने में समय और धन की बचत होगी।

सरकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचेगा।

मुश्किल समय में परिवारों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी।

योजना से जुड़ने की प्रक्रिया
यदि कोई महिला इस योजना से जुड़ना चाहती है, तो उसे निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करना होगा:

अपने गांव के संगठन या स्वयं सहायता समूह से संपर्क करें।

ब्लॉक मिशन प्रबंधन इकाई (BMMU) या जिला मिशन प्रबंधन इकाई (DMMU) में आवेदन करें।

फॉर्म भरें और प्रशिक्षण के लिए नामांकन करें।

प्रशिक्षण पूरा होने के बाद पहचान पत्र प्राप्त करें और काम शुरू करें |

Leave a Comment